भारत की तेज़ी से बढ़ती इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री के सामने एक अप्रत्याशित संकट खड़ा हो गया है—रेयर-अर्थ मैग्नेट्स की आपूर्ति में रुकावट। ये उच्च-चुंबकीय गुणों वाले दुर्लभ खनिज, विशेष रूप से EV मोटर्स, विंड टर्बाइन्स और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स में अहम भूमिका निभाते हैं। चीन द्वारा लगाए गए नए निर्यात नियमों के कारण भारत की ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियाँ एक गहरे संकट की ओर बढ़ रही हैं।

क्या हैं रेयर-अर्थ मैग्नेट्स?
रेयर-अर्थ तत्व (Rare Earth Elements – REEs) कोई वास्तव में ‘दुर्लभ’ खनिज नहीं होते, बल्कि इन्हें पृथ्वी से निकालना, शुद्ध करना और उपयोगी बनाना बहुत जटिल होता है। इनमें से कुछ प्रमुख तत्व हैं:
- नीओडिमियम (Neodymium)
- प्रासियोडिमियम (Praseodymium)
- डिस्प्रोसियम (Dysprosium)
इनसे बने नीओडिमियम आयरन बोरोन (NdFeB) मैग्नेट्स सबसे शक्तिशाली और छोटे आकार में उच्च शक्ति देने वाले मैग्नेट्स होते हैं। EVs, ड्रोन, MRI मशीन, मोबाइल फोन और रक्षा तकनीक में इनका उपयोग अत्यधिक होता है।
भारत में संकट कैसे शुरू हुआ?
1. चीन का निर्यात नियंत्रण
चीन ने 2024 के अंत में अपने मैग्नेट्स के निर्यात पर नए नियम लागू किए। अब भारतीय कंपनियों को आयात करने से पहले भारत सरकार से अनिवार्य मंजूरी लेनी पड़ती है।
2. अनुमतियों की भारी देरी
जून 2025 तक, रेयर-अर्थ मैग्नेट्स की इम्पोर्ट लाइसेंस वेटिंग लिस्ट 11 से बढ़कर 21 कंपनियों तक पहुँच गई। Bosch, TVS Motor, Uno Minda, Mahle Electric Drives जैसी बड़ी कंपनियां इसमें शामिल हैं।
3. प्रोडक्शन पर असर
इन मैग्नेट्स की कमी के कारण:
- EV उत्पादन धीमा हो रहा है, खासकर Maruti Suzuki जैसे ब्रांड पर।
- कंपनियाँ बैकलॉग और कस्टमर डिलीवरी टाइमलाइन से पीछे हट रही हैं।
- एक्सपोर्ट ऑर्डर्स में भी अनिश्चितता बढ़ी है।

कौन-कौन सी कंपनियाँ सबसे अधिक प्रभावित?
TVS Motor
इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स में अग्रणी, TVS iQube जैसी रेंज के लिए मैग्नेट्स आवश्यक हैं।
Bosch India
ऑटो कंपोनेंट सप्लायर Bosch के कई उत्पाद इन मैग्नेट्स पर निर्भर हैं।
Uno Minda
EV मोटर कंट्रोल यूनिट्स और मोटर असेंबली में शामिल।
Maruti Suzuki
e‑Vitara इलेक्ट्रिक SUV के प्रोडक्शन में कटौती करनी पड़ी।
सरकार की भूमिका
भारत सरकार ने इस संकट को गंभीरता से लिया है:
- विदेश मंत्रालय ने चीन से सप्लाई की स्थिरता पर बात की है।
- नीति आयोग और उद्योग मंत्रालय कंपनियों के साथ मिलकर आपूर्ति का समाधान खोज रहे हैं।
- PLI स्कीम में लचीलापन देने की माँग उठ रही है ताकि कंपनियाँ स्थानीय स्तर पर अस्थायी समाधान बना सकें।
PLI स्कीम में बदलाव की माँग
EV सेक्टर में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना में Domestic Value Addition (DVA) का उच्च मानदंड है। कंपनियाँ चाहती हैं:
- अस्थायी तौर पर DVA मानकों को घटाया जाए।
- रेयर-अर्थ मैग्नेट्स के लिए विशेष छूट दी जाए।
- सप्लाई चेन के विविधीकरण में सहयोग मिले।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
चीन का दबदबा
- चीन दुनिया के 90% से ज़्यादा रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का उत्पादन करता है।
- चीन ने हाल के वर्षों में इन पर ‘स्ट्रैटेजिक कंट्रोल’ लागू किया है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
- अमेरिका, जापान और यूरोप के देशों ने ऑल्टरनेटिव सप्लायर्स की खोज शुरू की है।
- भारत भी ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम और ब्राजील जैसे देशों के साथ समझौते करने की कोशिश कर रहा है।
Maruti e‑Vitara का संकट
Maruti Suzuki को इस संकट का सीधा असर देखने को मिला:
- उत्पादन लक्ष्य: 26,500 यूनिट्स (Q2 2025) → घटकर 8,200 यूनिट्स तक आया।
- डीलरशिप में डिलीवरी में देरी।
- कंपनी ने कहा: “लंबी अवधि का लक्ष्य 67,000 यूनिट्स का बना रहेगा, पर सप्लाई शॉर्ट-टर्म में बाधित है।”
क्या होंगे दूरगामी प्रभाव?
EV सेक्टर की ग्रोथ स्लो हो सकती है।
- लागत में वृद्धि – कंपनियाँ महंगे विकल्प ढूंढेंगी।
- कस्टमर डिलीवरी में देरी से यूज़र ट्रस्ट घट सकता है।
- स्टार्टअप्स सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे, जिनके पास बैकअप सप्लायर्स नहीं होते।
समाधान क्या हैं?
स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा
- भारत में रेयर-अर्थ माइनिंग और मैग्नेट निर्माण के लिए पॉलिसी बनाई जाए।
- BHEL, IREL जैसी सार्वजनिक कंपनियों को शामिल किया जा सकता है।
विविधीकरण
- चीन पर निर्भरता घटाना।
- ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, मलेशिया जैसे विकल्पों पर ध्यान।
रीसायक्लिंग
इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट से दुर्लभ तत्व पुनः प्राप्त करना।
सॉफ्टवेयर आधारित मोटर्स
जो पारंपरिक मैग्नेट्स पर कम निर्भर हों।
निष्कर्ष
रेयर-अर्थ मैग्नेट्स का संकट सिर्फ एक तकनीकी बाधा नहीं है, बल्कि यह भारत की उभरती EV अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा रणनीतिक इम्तिहान है। सरकार, उद्योग और वैज्ञानिक समुदाय को एक साथ आकर:
- दीर्घकालीन नीति बनानी होगी,
- स्थिर और विविध आपूर्ति शृंखला विकसित करनी होगी,
- और तकनीकी नवाचार को प्राथमिकता देनी होगी।
यदि यह संकट अवसर में बदला जाए, तो भारत आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा सकता है।